लाला लाजपत राय भारत के सच्चे देशभक्त और समाज सुधारक थे: फणींद्र कुमार मिश्र
स्टेट न्यूज इंडिया, महराजगंज
लायन ऑफ पंजाब व पंजाब केसरी से सम्मानित, देश के महानायक लाला लाजपत राय का नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन महानायकों में गिना जाता है जिन्होंने अपने बलिदान, कर्तव्य निष्ठा और समाज सेवा के कार्यों से देशवासियों को प्रेरित करते हुए उनके दिलों में देश प्रेम की भावना को जागृत किया था ,यही कारण है कि उन्हें "पंजाब केसरी" और "लायन ऑफ पंजाब" के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुआ था।
लाजपत राय एक कुशल नेता, समाज सुधारक और लेखक थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत आधार प्रदान करने के लिए बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ "लाल-बाल-पाल" तिकड़ी बनाई। ये तीनों नेता स्वराज और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक बन गए।
लाला लाजपत राय ने भारतीय समाज को जागरूक और संगठित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, अस्पृश्यता उन्मूलन, और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सार्थक व सारगर्वित प्रयास किया। 1894 में, उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो आज भी भारत का एक प्रमुख बैंक है। इसके अलावा, उन्होंने लाहौर में दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया।
1928 में, जब साइमन कमीशन का भारत में आगमन हुआ, तो लाला लाजपत राय ने इसका जोरदार विरोध किया। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ "साइमन गो बैक" के नारे लगाए। इसी विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई। उनके अंतिम शब्द थे, "मेरे शरीर पर पड़ी प्रत्येक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में एक कील होगी।"
लाला लाजपत राय ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, बल्कि समाज को नैतिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने का भी काम किया। उनकी जीवन यात्रा और बलिदान आज भी भारतवासियों को प्रेरित करता है। उनकी देशभक्ति और समाज सेवा के कार्य उन्हें इतिहास में अमर बनाते हैं।उनके बलिदान के प्रतीक उनकी पुण्य तिथि पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए।


